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Saturday, September 25, 2010





सभ्यता के विकास की दौड़ में मनुष्य भले ही कितना आगे निकल जाए, पर जरूरत पड़ने पर आज भी एक मनुष्य दूसरे को अपना रक्त देने में हिचकिचाता है। रक्तदान के प्रति जागरूकता लाने की तमाम कोशिशों के बावजूद मनुष्य को मनुष्य का खून खरीदना ही पड़ता है। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि कई दुर्घटनाओं में रक्त की समय पर आपूर्ति न होने के कारण लोग असमय मौत के मुँह में चले जाते हैं।


रक्त का व्यापार न हो 
आज भी छिंदवाडा जिले में  कई ऐसे रक्तदाता मिल जाएँगे जो कि चंद रुपयों के लिए अपना रक्त बेच देते हैं। इनमें से अधिकांश का रक्त दूषित होता है या उन्होंने दो चार दिन के भीतर ही रक्त दिया रहता है। जरूरत पड़ने पर व्यक्ति इनसे रक्त तो ले लेता है, परंतु बाद में उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं ,  जैसा की ज्ञात हो की परासिया में ब्लड फ्रीजर न होने के कारण किसी पिडीत को रक्त की जरूरत पड़ने पर रक्तदाताओ की तलाश रहती है जो निस्वार्थ अपना रक्तदान कर सहायता कर सके , इस बीड़ा को लियो क्लब परसिया चांदामेटा ने उठाया है ,और प्रयास कर रहा है की किसी जरूरत मंद व्यक्ति को जरूरत पड़ने पर उसे खून खरीदना न पड़े , बल्कि किसी क्लब सदस्य अथवा रक्दाताओ की सूची में से किसी व्यक्ति का व्यक्ति का ताज़ा खून लगाया जा सके 

 पीयूष बत्रा


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